Murder or trap 17
कुछ वक़्त के बाद अनीता के ससुराल वाले उससे अब एक वारिस चाहते थे। लेकिन दीप ये नहीं चाहता था क्योंकि इससे उसको अपने बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत आती और दूसरा पता नहीं वो बच्चा किसका होता..?? दीप हमेशा चुपके से अनीता को ऐसी दवाइयां खिला देता था.. जिससे वो माँ ना बन पाये।
घरवाले अनीता पर बच्चे के लिए दबाव बढ़ाने लगे थे। अवंतिका तो अनीता पर इस बात को लेकर बहुत ही गुस्सा थी कि वो बच्चे के बारे में नहीं सोच रही थी।
दीप से एक दो बार ढंके छुपे शब्दों में कहने पर दीप ने बच्चे के लिए साफ साफ मना कर दिया था।
इसी बीच अनीता को उसके पिता की जानलेवा बीमारी के बारे में पता चला था। अनीता ने दीप से कुछ पैसे अपने पापा के इलाज के लिए मांगे थे लेकिन दीप ने अनीता को दुत्कारते हुए मना कर दिया था..
तब अनीता ने शंभू काका को किसी तरह मनाकर बिना किसी को भी इस बारे में बताये अपने पापा के पास उनकी देखभाल करने के लिए भेज दिया था।
उधर अवंतिका ने दीप को मनाकर अनीता को कुछ दिन शुद्धि के लिए अवंतिका के गुरुजी के आश्रम भेजने की योजना बना ली थी। अवंतिका ने अनीता को एक महीने के लिए शुद्धि पूजा के लिए गुरु जी के आश्रम भेज दिया गया।
जो परिस्थितियां अनीता के लिए दीप के घर पर थी.. वही परिस्थितियां आश्रम में थी।
बस फर्क इतना था कि आश्रम में अनीता को एक अलग से कमरा दिया गया था और वह सब कुछ जो दीप के घर पर सभी की और अनीता की जानकारी में अनीता के साथ होता था। वहां अनीता को सोते समय दूध में नींद की दवाई मिलाकर पिला देने के बाद होता था।
अवंतिका ने पहले से ही गुरुजी को अनीता के स्वभाव के बारे में सब कुछ बता दिया था.. इसी वजह से बहुत ज्यादा हंगामा ना हो इसलिए नींद की गोलियां अनीता को दी जाती थी। अवंतिका की बहू होने की वजह से अनीता को स्पेशल ट्रीटमेंट दीया जाता था.. जहाँ सभी आश्रम में आने वाले और रहने वालों को आश्रम के कार्यों में हाथ बंटाना होता था.. वही अनीता से कोई काम नहीं करवाया जाता था।
पूरे दिन अनीता फ्री रहती थी.. एक दिन घूमते घूमते अनीता आश्रम की लाइब्रेरी पहुँच गई। आश्रम में हाई प्रोफाइल लोग, मंत्री, नेता, बड़े बड़े बिजनेसमैन आते थे इसीलिए वहाँ मॉडर्न ज़माने की हर सुख सुविधाओं का ध्यान रखा जाता था। लाइब्रेरी, गोल्फ़ कोर्ट, पूल, ओपन थिएटर.. और भी ना जाने क्या क्या था वहाँ..?
अनीता को पढ़ने का शौक था जो दीप से शादी के बाद छूट गया था। लाइब्रेरी देखकर अनीता के कदम खुद ब खुद उस तरफ चल दिये थे।
वो लाइब्रेरी बहुत ही ज्यादा बड़ी थी.. बहुत सी भाषाओं के ग्रंथ, कहानियों की पुस्तकें, महान लेखकों की कृतियां, साइंस की बुक्स, बाल साहित्य, मेडिकल साइंस, स्पेस साइंस और फॉरेंसिक साइंस से रिलेटेड बुक्स थी। आश्रम में रहने वाले लोग कभी भी उस लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने के लिए जा सकते थे।
अनीता जब उस लाइब्रेरी में पहुंची तो बहुत सारी किताबें देखकर थोड़ा कंफ्यूज हो गई थी उसे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी किताब पढ़े.. इसीलिए वह जाकर एक टेबल पर चुपचाप बैठ गई। उस टेबल पर तीन चार किताबें रखी थी.. वो किताबें साइंस से रिलेटेड थी। दो किताबें मेडिकल साइंस की एक फॉरेंसिक साइंस की और एक क्रिमिनोलॉजी की थी। अनीता ने जब चारों बुक्स देखी तो उसे वह चारों ही बहुत ज्यादा अट्रैक्टिंग लगी।
एक मेडिकल बुक पढ़ी.. जिसके हिसाब से कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही बदसूरत क्यों ना हो अपने शरीर के हर हिस्से की प्लास्टिक सर्जरी करवाकर उस हिस्से को रिकंस्ट्रक्ट करवा सकता है। यह प्रोसीजर थोड़ा महंगा होता है लेकिन यह प्रोसीजर 100% रिजल्ट देता है। कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में हजार में से एक के साथ ऐसा होता है.. जिसमें सर्जरी फेल हो जाती है।
अनीता को उन बुक्स में इंट्रेस्ट आने लगा था। धीरे धीरे 20 दिन में अनीता ने फॉरेंसिक साइंस, क्रिमिनोलॉजी से संबंधित उस लाइब्रेरी में जितनी भी बुक्स थी सब पढ़ डाली।
एक दिन अनीता ने रात को सोते समय दूध नहीं पिया था क्योंकि उस दिन दूध में अनीता को कुछ गिरा हुआ दिखाई दिया। अनीता ने वो दूध फेंक दिया था और ऐसे ही सो गई। रात के लगभग 2:00 बजे आश्रम के दो लोग उसे उठाकर एक कमरे में ले जा रहे थे। उसी टाइम अनीता की नींद खुल गई। वह अनीता को ऐसे जागता देख कर घबरा गए थे और उसे वहीं छोड़कर भाग गए।
उन दोनों लोगों ने जाकर आश्रम के उच्च अधिकारियों को अनीता के दूध ना पीने के बारे में बताया तो उन्होंने अनीता को अगले दिन ही वापस भेजने का निर्णय ले लिया था। लेकिन अगले ही दिन अनीता ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया तो उन्हें थोड़ी सी हिम्मत बंधी। अभी भी अनीता का वहां रुकना उन लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं था.. इसीलिए उन्होंने अनीता को 2 दिन बाद ही उसके घर वापस भेज दिया।
अनीता के वापस आने के बाद दीप वापस अपने पुराने ढर्रे पर आ गया था। रोज की लेट नाइट पार्टीज और बिज़नस एसोसिएट का उसके घर आना फिर शुरू हो गया था।
आश्रम से वापस आने के बाद एक दिन अनीता सो रही थी..तो दीप ने आते ही बहुत तेज गुस्से से अनीता के सर पर एक फ्लॉवर वास दे मारा। वास के लगते ही अनीता दर्द के कारण झटके से उठ गई थी.. उसके सिर से खून बहने लगा था।
दीप के अनीता पर उस समय हाथ उठाने के दो कारण थे। पहला आश्रम से फोन आया था.. जिसमें अनीता की बहुत ही बुराईयां गिनाते हुए अवंतिका को बहुत खरी खोटी सुनाई गई थी और अवंतिका ने उसका गुस्सा दीप को कॉल करके दीप के उपर निकाल दिया था।
और दूसरा कारण था.. दीप के हाथ से एक बड़े ऑर्डर का निकल जाना। हुआ ये था कि दीप एक नया बिजनेस स्टार्ट कर चुका था और उसी के लिये दीप ने एक टेंडर भरा था। दीप ने उस टेन्डर के लिए अनीता के साथ साथ 25 लाख रुपये भी उस अधिकारी को दिए थे। उस अधिकारी के अनुसार अनीता ने उससे बदतमीजी की और जिस काम के लिए अनीता को भेजा गया था वो भी नहीं किया था। इसलिए वो टेन्डर दीप के हाथ से निकल गया था।
ऐसे मारे जाने पर पहली बार अनीता को बहुत ज्यादा गुस्सा आया था। अनीता ने अपने आपको खत्म कर लेने का सोचा लेकिन इससे दीप और उसके परिवार ने जो कुछ भी अनीता के साथ किया था.. उसकी सज़ा उन्हें नहीं मिलती। अनीता ने एक चिट्ठी पुलिस को लिखकर भागने की सोची लेकिन दीप की पहुंच उपर तक होने की वजह से ये प्रोग्राम भी बदलना पड़ा।
अंत में अनीता ने अपने ही मर्डर का प्लान बनाया। जिसके हिसाब से अनीता को सभी को अपने बारे में आधा अधूरा सच बताना भी था.. जिससे किसी को भी ये ना लगे कि अनीता सबकुछ बताना चाहती थी.. बल्कि ये लगे कि वो उसपर हो रहे अत्याचारों के बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहती। सभी के सामने अनीता ने अपने उपर हुई मारपीट और चोटों को ऐसे दिखाना शुरू कर दिया.. जैसे वो गलती से सबकी नज़र में आए हों।
अब शुरू होता था अनीता के प्लान का दूसरा हिस्सा.. जिसमें अनीता ने अपनी डायरी लिखी थी.. लेकिन उसे सभी की नज़रों से छुपाकर अपने कमरे में ही छोड़ दिया था। ताकि पुलिस जाँच में वो डायरी उन्हें मिले। अनीता ने दीप की जेब से कुछ पैसे चुराकर एक चिट्ठी के साथ अपने बेड के नीचे टेप से चिपका दिए थे।
अनीता को पता था कि कुछ ही दिनों में आश्रम का वार्षिकोत्सव आने वाला था.. तो अनीता ने उसी दिन को चुना था अपने मर्डर के लिए। ये मर्डर इसलिए था क्योंकि अनीता इसे आत्महत्या कहकर दीप और उसके परिवार को बच निकलने का रास्ता नहीं छोड़ना चाहती थी।
वो दिन भी आ गया था जिस दिन आश्रम में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की वजह से सभी आश्रम गए थे। वो कार्यक्रम पांच दिन चलने वाला था इसलिए अनीता ने सभी के जाने के बाद का दूसरा दिन इस काम के लिए चुना था।
अनीता ने सभी चीज़ें प्रॉपरली अरेंज कर दी थी। दीप के साथ आज भी वहीं पहली बार वाला स्पेशल गेस्ट आया था.. ये अनीता के प्लान का हिस्सा नहीं था। यही सोचकर एक बार को तो अनीता को टेंशन हो गई थी।
अनीता ने अपने आपको शांत किया और दीप के साथ ही उसे भी फंसाने का सोचा। उस गेस्ट की गाड़ी दीप के घर कभी भी आ जा सकती थी। अनीता ने अवंतिका के कमरे से नींद की गोलियां चुरा ली थी।
जब दीप ने अनीता को ड्रिंक्स सर्व करने के लिए कहा तो अनीता ने इस मौके का फायदा उठाते हुए दोनों की पहली ही ड्रिंक में नींद की गोलियां मिला दी थी। उसके बाद तो जो ड्रिंक्स का दौर चला तो छह या सात ड्रिंक्स के बाद ही रुका था।
दीप और वो गेस्ट लड़खड़ाते हुए दीप के कमरे की तरफ चल दिये थे। दोनों ही रूम में पहुँचकर नींद की गोलियों के कारण वही गिर पड़े थे। दीप अपने रूम के बेड पर तो वो गेस्ट दीप के ही पास गिर पड़ा था।
अनीता ने जब उन्हें देखा तो वो दोनों ही बहुत गहरी नींद में थे। अनीता ने दीप के ही कमरे में अपने आपको मारने की कोशिश की.. पर उसकी हिम्मत ही नहीं हुई अपने आपको खत्म करने की.. बहुत कोशिशों के बाद भी जब अनीता खुद को मार नहीं पाई तो उसने वहां से भागने के बारे में सोचा।
अनीता को याद आया कि दीप ने कुछ दिन पहले ही 5 करोड़ रुपये अवंतिका की अलमारी में रखवाये थे.. आज जब अनीता नींद की गोली लेने अवंतिका के कमरे में गई थी तब उसने अलमारी का लॉक खुला देखा था।
अनीता ने फटाफट जाकर देखा तो.. अलमारी सच में खुली थी.. बैग में पैसे रखे हुए थे.. अनीता ने वो पैसे लिए और दबे पाँव घर से निकल गई। बाहर उसी गेस्ट की गाड़ी खड़ी थी.. अनीता ने उसे ही लेकर भागने की सोची और गाड़ी लेकर निकल गई। चौकीदार ने गाड़ी देखकर बिना कुछ बोले गेट खोल दिया और अनीता गाड़ी फर्राटे से भगाती हुई चली गई।" वृंदा इतना बोलते हुए चुप हो गई थी।
"अनीता तो भाग गई थी ना… तो उसकी लाश कैसे मिली..??" वृंदा के चुप होते ही रुद्र ने आकुलता से पूछा.. इतना जानने के बाद रुद्र को बहुत ज्यादा क्यूरियोसिटी हो रहीं थीं पूरी बात जानने की
अनीता जैसे ही घर से लगभग 2 किलोमीटर दूर पहुंची.. रास्ते में उसने एक लड़की का एक्सीडेंट हुआ देखा।
लड़की के सर पर काफी चोट लगी थी और सर से खून बह रहा था। अनीता ने उस लड़की के पास जाकर उसकी मदद करने की सोची। अनीता ने उस लड़की को उठाया और उसकी नब्ज चेक की.. वह लड़की तब तक मर चुकी थी।
अनीता को उसी वक्त एक आइडिया आया। अनीता ने गाड़ी में ढूंढा तो उसे कुछ पॉलिथीन की थैलियां मिल गई थी। अनीता ने अपनी साड़ी को थोड़ा सा फाड़ा और उस लड़की के सर पर बांध दिया। उसके बाद पॉलिथीन उसके सर पर बांधी और कन्फर्म किया कि कहीं से भी खून तो नहीं निकल रहा था। उसके शरीर की एक दो हड्डियां टूटी थी और जगह-जगह खरोंचे आई हुई थी।
अनीता ने उस लड़की को कैसे तैसे उठाकर गाड़ी में डाला और वापस दीप के घर की तरफ लौट आई। आते वक़्त भी चौकीदार ने बिना कुछ कहे गेट खोल दिया था।
बंगले अंदर जाकर अनीता ने उस लड़की को पीछे के हिस्से में बने किचन गार्डन में एक क्यारी जो माली ने पहले से तैयार की थी उसके अंदर दफना दिया और वहां से थोड़ी सी मिट्टी ले जाकर दीप के जूतों पर लगा दी।
सर पर थैली बांधने की वजह से गाड़ी में कहीं भी खून नहीं गिरा था। उस लड़की को दफनाने से पहले अनीता ने उस खून भरी थैली को निकाल लिया था। और साथ ही अनीता ने सैलो टेप पर उस लड़की के फिंगरप्रिंट ले लिए थे। दफनाने से पहले अनीता ने अपनी डायरी लाकर उस पर भी उस लड़की के फिंगरप्रिंट ले लिए थे। अनीता उसे दफनाने के बाद बहुत ही ध्यान से घर में गई थी ताकि कहीं भी किसी को इस बारे में कुछ पता ना चल जाए।
अनीता ने दीप के बेडरूम में आकर कबर्ड से दीप का एक टॉवल निकाला और हर उस जगह से फिंगरप्रिंट्स साफ किए जहां पर से अनीता के फिंगरप्रिंट्स मिलने की गुंजाइश थी। सभी जगह से.. कमरे के हर एक कोने से अच्छे से फिंगरप्रिंट्स साफ करने के बाद अनीता ने सैलो टेप पर लिए उस लड़की के फिंगरप्रिंट्स को पूरे कमरे में लगाना शुरू कर दिया.. ताकि ढूंढने पर कमरे में अनीता की जगह उस लड़की के फिंगरप्रिंट्स मिले।
अनीता ने उस खून की थैली से खून लेकर अपने हाथ का एक पंजा दीवार पर बनाया और एक जोर से धक्का मार कर किसी का सर टकराने पर खून निकलने जैसा निशान भी बनाया। जमीन पर कुछ खून फैलाया और सेव मी फ्रॉम दीप लिखा। उसके बाद बहुत ही सावधानी से अनीता ने उस थैली के खून को किचन सिंक में बहा दिया और उसके थैली को पानी से अच्छी से धो दिया।
किचन में बहुत सारे किचन टॉवल रखे थे उन्हीं का यूज़ करते हुए जो भी खून के निशान अनीता ने बनाए थे.. उन्हें अच्छे से साफ कर दिया और नीचे उतरते टाइम सीढ़ियों पर भी कहीं-कहीं खून की बूंदे गिरी थी.. वह भी साफ कर दी। अनीता ने फॉरेंसिक साइंस की बुक में पढ़ा था की खून साफ करने के बाद भी अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड लाइट में खुन को देखा जा सकता था। बस इसी का यूज करते हुए अनीता ने यह सब किया था।
अनीता ने जब उस लड़की के सर से अपनी साड़ी हटाई थी तब उसमें उस लड़की के कुछ बाल भी चिपक गए थे। अनीता ने बड़ी ही सफाई से वह कुछ बाल बाथरूम के दरवाजे की साइड में फंसा दिये।
लड़की ने चोट लगने पर अपना सर अपने हाथों से पकड़ा होगा इसीलिए उसके हाथ की सबसे छोटी उंगली का नाखून उसके घाव में टूट गया था। वह नाखून का टुकड़ा भी अनीता को अपनी साड़ी के टुकड़े में मिला था। अनीता ने उसे भी बाथरूम शावर के वाॅल्व में फंसा दिया था।
अनीता ने जो साड़ी पहनी हुई थी.. वह उस लड़की के खून से पूरी रंगी हुई थी इसीलिए अनीता ने उस साड़ी को चेंज करने का सोचकर जाने लगी तो..दीप ने उस वक्त जो घड़ी पहनी थी उसमें अनीता की साड़ी अटक गई थी। झटके से छुड़ाने पर अनीता की साड़ी दीप की घड़ी में फंस कर फट गई थी.. और साड़ी का एक छोटा टुकड़ा घड़ी में फंस गया था। अनीता ने बहुत ही ध्यान से दीप की घड़ी उतार कर अलमारी में एक बॉक्स में रख दी थी लेकिन उस साड़ी का एक टुकड़ा जो साड़ी की छुड़वाने के टाइम फटकर फंस गया था उसे उसी में रहने दिया।
अनीता ने यह सब काम बाथरूम में हेयर कलर लगाने के युज़ में आने वाले ग्लव्ज को पहनकर किया था.. इसीलिए दोबारा फिंगरप्रिंट मिटाने के लिए अनीता को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं थी।
अनीता के पास वैसे भी बहुत ज्यादा सामान नहीं था। दीप उसके लिए कभी बहुत कुछ लाकर नहीं देता था.. अनीता ने अपना जो थोड़ा बहुत छोटा मोटा सामान था.. उस सब को इकट्ठा किया और डायरी और अपनी पहनी हुई साड़ी के साथ एक जगह इकट्ठा किया।
अनीता अपना सारा सामान और उस खून से रंगे टॉवल को लेकर किचन में चली गई थी। सबसे पहले अनीता ने किचन सिंक में उस खून से रंगे टॉवल को जलाया। अनीता ने फॉरेंसिक साइंस की बुक में पढ़ा था कि अगर इंसानी शरीर के किसी भी अंग को जलाया जाए तो उसके राख से डीएनए सैंपल कलेक्ट किए जा सकते हैं।
अनीता की हर एक चीज पर अनीता ने उस लड़की के जो फिंगरप्रिंट्स लिए थे.. उन्हें अनीता ने उन पर लगाया।
किचन में पहले समय में एक फायर प्लेस था जिसे उसके आगे बड़ा फ्रिज रखकर उसे कवर किया गया था। अनीता ने अपना सारा सामान उसी फायरप्लेस के अंदर रखकर एक हल्की सी फॉल्स दीवार खड़ी कर दी थी। दीप के घर में अधिकतर रिनोवेशन का काम चलता रहता था इसीलिए इस तरह के छोटे-मोटे मरम्मत के लिए जरूरी सामान हमेशा मिलते थे।
अनीता ने उस फॉरेंसिक साइंस थी बुक में पढ़ा था कि खून के भीगे कपड़े या कुछ और खून लगी चीजे.. अगर कहीं ज्यादा टाइम तक रखे रहे तो उनमें चीटियां लग सकती हैं और कुछ कीड़े मकोड़े लग सकते हैं।
तो अनीता ने उन सभी चीजों को इस तरह से उसमें रखा जिससे कुछ ढूंढने पर वहां नजर जाए। अनीता ने सभी सामान को वहाँ रखकर दीवार बंद कर दी। दीवार बंद करते टाइम एक दो छोटे छेद छोड़ दिए थे.. ताकि उन छेदों से उस सारे सामान पर चीटियां लग सके। और कीड़े मकोड़े भी उनकी तरफ आकर्षित हो।
अब तक अनीता ने जो टॉवल किचन सिंक में जलाने के लिए रखी थी.. वह लगभग जल चुकी थी। अनीता ने पानी का नल चला कर उसे फ्लश कर दिया.. लेकिन उसके कुछ रेशे किचन सिंक में कहीं-कहीं अटका दिए थे। नॉर्मल देखने पर वो दिखाई नहीं देते थे लेकिन ठीक से और मैग्नीफाइंग ग्लास से देखने पर वह किसी सबूत की तरह काम में लिए जा सके।
इतना सब कुछ करने के बाद अनीता ने एक बार हर चीज पर फिर से एक बार नजर मारी ताकि कुछ भी गड़बड़ी अनीता के हाथों तो नहीं हो गई। हर चीज अपनी जगह परफेक्ट नजर आ रही थी। अब तक सुबह के सवा चार बज चुके थे.. हल्का हल्का सा उजाला होने लगा था।
अनीता के पास उस घर से निकलने के लिए बहुत ज्यादा टाइम नहीं था। अनीता ने बिना ज्यादा वक्त गंवाए फटाफट से उस कार से पैसों से भरा बैग निकाला और पीछे शंभू काका के कमरे की तरफ भागी।
शंभू काका का कमरा घर के पिछले तरफ की दीवार के पास बना हुआ था। वहां से कूदकर भागना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं था। अनीता शंभू काका के कमरे की छत पर चढ़कर दीवार के दूसरी तरफ कूद गई।
उस तरफ आसपास के पेड़ पौधों की सूखी पत्तियां वगैरह डालते थे.. ताकि उनसे जैविक खाद बनाई जा सके.. इसीलिए कूदने पर अनीता को बहुत ज्यादा चोट नहीं आई थी। बस कुछ हल्की फुल्की खरोचें आई थी।
अनीता ने भागकर अपने पापा के पास जाने का निश्चय किया। अनीता के पापा काफी दूर रहते थे और इस वक्त अनीता किसी भी तरह के मामले में किसी की भी नजर में नहीं आना चाहती थी.. इसीलिए उसने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज़ करते हुए.. एक सरकारी बस से अपने पापा के घर की तरफ गई।
अगले दिन शाम तक अनीता उस हॉस्पिटल में पहुंची जहां उसके पापा एडमिट थे। वहां जाने पर उसे पता चला कि उसके पापा की हार्टअटैक से डेथ हो गई थी।
यह सदमा अनीता के लिए बहुत ही बड़ा था। वहां से निकलकर अनीता एक छोटे से शहर में जाकर रहने लगी ताकि किसी की भी नजर में ना आए। अब वह अपनी जिंदगी सुकून से बिताना चाहती थी।" वृंदा ने इतना कहकर एक लंबी सांस लेते हुए अपनी बात खत्म की।
रूद्र अभी भी थोड़ी शक भरी नजरों से वृंदा को देख रहा था।
"अब यह भी बता दो अनीता मिलेगी कहां..??" रूद्र ने पूछा।
वृंदा जो एक तरफ कोने में बैठी थी रुद्र के सामने जाकर खड़ी हो गई और कहा, "तुम्हारे सामने है..!!"
इतना सुनकर रूद्र को बहुत ही तेज शाॅक लगा था। उसे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इतना सब हुआ कैसे..?? रुद्र अभी तक यह समझ रहा था कि वृंदा ने अनीता की मदद करने के लिए अनीता को मारा होगा.. लेकिन आधी कहानी सुनने के बाद उसे लगा की वृंदा अनीता के बारे में सब कुछ जानती थी। मगर यहां तो कहानी ही उल्टी थी।
रूद्र ने कन्फ्यूजन में वृंदा से पूछा, "तुम अनीता कैसे हो सकती हो?? तुम अनीता जैसी बिल्कुल नहीं दिखती??"
"जानती हूं..! तुमने पहले वाली अनीता की फोटो देखी होगी!!" रूद्र ने हां में गर्दन हिलाई।
"लेकिन यह सब हुआ कैसे..??" रुद्र ने पूछा।
"प्लास्टिक सर्जरी का नाम तो सुना ही होगा..!!" रूद्र ने हां में अपना सर हिलाया और पूछा, "तो..??"
"तो यह कि जब मैं उस आश्रम में थी तब एक इंटरनेशनल प्लास्टिक सर्जन वहां पर मेडिटेशन के लिए आए हुए थे। मैंने उन्हें वहां देखा था और जो बुक्स मैंने पढ़ी थी उनमें एक पेपर उसी फेमस प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर स्मिथ का भी छपा था। हमारी मुलाकात आश्रम में नहीं हो पाई थी.. इसीलिए वह मुझे नहीं जानते थे।
जब मैं अपने पापा से मिलने हॉस्पिटल पहुंची थी और मुझे उनकी डेथ की खबर मिली तो मैं बेहोश हो गई थी। उसी वक्त डॉ स्मिथ ने मेरी बहुत हेल्प की। वह मुझे और मेरे बैग को लेकर उस गेस्ट हाउस में आ गए थे.. जहां वह ठहरे हुए थे।
होश में आने पर उन्होंने मुझे बताया था कि हॉस्पिटल अथॉरिटीज् ने मुझे वहां रखने के लिए मना कर दिया था। इसलिए वह मुझे लेकर उनके गेस्ट हाउस आ गए थे। उन्होंने मुझसे मेरे दुखी होने की वजह पूछी तो मैंने अपनी पूरी कहानी उन्हें सुनाई दी। उन्होंने ही मुझे प्लास्टिक सर्जरी करवाने का सजेशन दिया था। इन फैक्ट..! मेरी प्लास्टिक सर्जरी भी उन्होंने ही की थी।
प्लास्टिक सर्जरी के बाद उन्होंने मुझसे मेरी आईडीज् मांगी थी। ताकि वह मुझे अपने साथ अपने देश ले जा सके। मैंने उन्हें बताया कि दीप ने मेरी आईडी नहीं बनवाई। तब उन्होंने मुझे अपनी आईडी एक नई पहचान के साथ बनवाने के लिए कहा।
मैंने उसी दिन से अनीता को मारकर वृंदा के रूप में एक नया जन्म लिया। अनीता तो उसी दिन मर गई थी जिस दिन दीप से उसकी शादी हुई थी। और वृंदा का जन्म उस दिन हुआ जिस दिन वह दीप की कैद से आजाद हुई थी।" वृंदा ने कहा।
"अब आगे का क्या सोचा है..??" रुद्र ने अपने हाथों को सर के पीछे रखते हुए आराम से कुर्सी से टिकते हुए पूछा।
"शायद आगे की जिंदगी तुम्हारी बदोलत जेल में बीतेगी..!!" वृंदा ने मायूसी से कहा।
"मेरा ऑफर अभी तक ओपन है..!!" रुद्र ने रहस्यमयता से पूछा।
"मतलब..!!" वृंदा ने कंफ्यूज्ड होकर पूछा।
"शादी का..!!" रुद्र ने आंख मारते हुए वृंदा से कहा।
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रुद्र ने अपनी जॉब से परमानेन्ट ही छुट्टी ले ली थी और वृंदा से शादी कर के गुवाहाटी में ही वृंदा के साथ अपनी एक डिटेक्टिव एजेंसी खोल ली थी।
क्योंकि वृंदा सबूत छुपाने, प्लानिंग और प्लॉटिंग में बेस्ट थी.. इससे उन्हें उनके केसेस में सबूत ढूंढने में मदद मिलती थी और रुद्र केस की छुपी हुई कड़ियां ढूंढने और उन्हें जोड़ने में एक्सपर्ट..!!
6 महीने के बाद रूद्र एक कमरे में बैठा टीवी देख रहा था। कमरा एक ऑफिस के केबिन जैसा ही दिख रहा था। चारों ओर रैक्स रखी थी जिनमे देश विदेश के ऐसे अनसुलझे केस थे जो बहुत ही युनीक थे... कुछ ऐसे केस थे.. जिनमें कातिल बहुत ही शातिर और मानसिक रोगी थे.. और कुछ ऐसे केस भी थे.. जिनमें कत्ल या डकैती बहुत सफाई से की गई थी लेकिन क़ातिल को अपने नाम की इतनी परवाह थी कि किसी दूसरे को उस केस में मुज़रिम साबित होने पर वो खुद ही सामने आकर उसने अपना परफेक्ट गुनाह कुबूल किया था। उनमें वृंदा के फेवरेट ज़ोनर फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनलोजी की बुक्स भी थी।
सामने एक टेबल और तीन चार कुर्सियां रखी थी। पूरे कमरे को इनडोर प्लांट्स से डेकोरेट किया हुआ था। सामने की दीवार पर एक बड़ा सा एलईडी टीवी लगा हुआ था। रूद्र सामने ही बैठा पेपर पढ़ रहा था.. के उसके फोन पर एक मैसेज टोन बजी।
"टीवी ऑन करो जल्दी..!!"
मैसेज करने वाले का नंबर शो नहीं हो रहा था लेकिन मैसेज देखते ही रुद्र समझ गया था कि मैसेज किसने भेजा था। रूद्र ने टीवी ऑन किया तो वहाँ एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी।
"एक आठ साल के बच्चे को बेरहमी से सीरिअल किलिंग करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया..!!"
रुद्र ये सोचकर परेशान था कि जिस तरह से वो सभी कत्ल किए गए थे.. वो एक छोटा बच्चा नहीं कर सकता था। रुद्र इस केस के बारे में सोचकर थोड़ा कंफ्यूज था।
तभी मृदुल थके हुए कदमों से चलकर अंदर आया। रूद्र ने मृदुल को आते देख कर टीवी बंद कर दिया। मृदुल आकर सर पकड़कर रुद्र के सामने बैठ गया।
रुद्र ने मृदुल को ऐसे बैठे देखकर मज़ाक़ में पूछा, "अब कौन मर गया..??"
मृदुल ने थके हुएऔर हारे हुए शब्दों मे कहा, "वही बच्चा जिसे सीरिअल किलिंग के जुर्म में अरेस्ट किया गया था..!!"
"क्या..??" रुद्र एकदम जोर से चीखा।
"यार..! तेरी और भाभी की मदद की बहुत जरूरत है..!!" मृदुल ने कहा।
"चलो जान..!! किसी की जान गई है और उसी की जान के दुश्मन को ढूंढने जाना हैं..!!" रुद्र ने जोर से आवाज़ देकर कहा।
अगर आप लोगों का साथ और इस कहानी से आपका जुड़ाव रहा तो.. रुद्र और वृंदा मिलकर आगे अपने विचित्र केस और अजीब गुत्थियां सुलझाने के अनुभव साझा करने फिर जरूर आयेंगे..!!! धन्यवाद !!!
समाप्त..!!!
Ajay Tiwari
26-Aug-2022 09:08 PM
Very nice
Reply
Punam verma
13-Aug-2022 12:23 AM
Nice one
Reply
Aalhadini
15-Aug-2022 12:27 AM
Thanks ma'am
Reply
Abhinav ji
10-Aug-2022 09:05 AM
Very nice
Reply
Aalhadini
10-Aug-2022 01:46 PM
शुक्रिया
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